भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन सबसे पहले किसने किया था?

 

भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economic) प्रैक्ट्रिस सेट 01 दोस्तों आप सभी को बता दू कि ये प्रैक्ट्रिस 01 है इसमें

कुल 10 प्रश्न होगे तथा सभी प्रश्न का उत्तर भी सामान होगे आज का पहला सवाल है भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन

सबसे पहले किसने किया था? अगर आप इस प्रश्न का सही उत्तर जानते है तो आप हमें नीचे दिये कंमेट में इस प्रश्न का

उत्तर बताए । दोस्तों ये सभी प्रश्न विगत गत प्रतियोगी परीक्षा में पूछे गये है और आने वाले सभी प्रतियोगी परीक्षा के

लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकते है । Who was the first to estimate the national income in India?

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन सबसे पहले किसने किया था?

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन सबसे पहले किसने किया था? – दादाभाई नौरोजी,

सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय समिति का गठन किसकी अध्यक्षता में हुआ – दादाभाई नौरोजी,

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन सर्वप्रथम कब हुआ – 1876 में,

किसने राष्ट्रीय आय का लेखांकन का पहला प्रयास किया – दादा भाई नौरोजी,

भारत में राष्ट्रीय आय की गणना -1867-68,

भारत में आर्थिक नियोजन का काम कौन सी संस्था करती हैं -,

संसार में पहली बार सीमाओं का आकलन करने वाला वैज्ञानिक का नाम क्या है – सही उत्तर कमेंट में बताएं ,

भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन कौन करता है – राष्ट्रीय संख्यिकिय संगठन,

प्रश्न 01- मिश्रित अर्थव्यवस्था किस देश की देन है –

A.पूर्व सोवियत संघ

B.संयुक्त राज्य अमेरिका

C.जर्मनी

D.फ्रांस

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  Answer :-   (D) फ्रांस

व्याख्या  –1929 में हमान मंदी से उद्भूत आर्थिक संकट का विश्लेषण करने के क्रम में जॉन मेनार्ड केन्स ने पूँजीवादी

अर्थव्यवस्था का आलोचनात्मक सुधार प्रस्तुत करते हुए मिश्रित अर्थव्यवस्था की वकालत की। 1940 के दशक में फ्रांस

ने इस अर्थव्यवस्था को अपनाया । भारत भी एक मिश्रित अर्थव्यवस्था वाला देश है ।

प्रश्न 02- जीवन की भौतिक गुणवत्ता सूचकांक विधि को किसने दिया  –

A.अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

B.सेमुएलसन

C.मॉरिश-डी-मॉरिश 4

D.महबूब-उल-हक

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  Answer :-   (C) मॉरिश-डी-मॉरिश

व्याख्या  –जीवन की भौतिक गुणवत्ता सूचकांक का विचार 1976 में टीन वर्जन ने दिया , लेकिन इसको विकसित करने

का कार्य मॉरिश-डी-मॉरिश ने किया । इस विधि के द्वारा जीवन प्रत्याशा बाल मृत्युदर तथा साक्षरता को मिलाकर

किसी अर्थव्यवस्था का विकास सूचकांक तैयार किया जाता है ।

प्रश्न 03- मांग की लोच कितने प्रकार की होती है –

A.एक

B.दो

C.तीन

D.चार

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  Answer :-   (C) तीन

व्याख्या  – मूल्य में परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांग के परिवर्तन कितना होगा, किस अनुपात में होगा , वह विभिन्न

मूल्यों पर मांग क बदलने की क्षमता पर निर्भर करता है । यह क्षमता ही मांग की मूल्य लोच है । मांग की लोच के तीन

प्रकार होते है – 1.मांग की मूल्य लोच 2.मांग की आय लोच 3.मांग की आड़ी लोच

प्रश्न 04-जब उत्पादन के दो साधन पूर्णतया पूरक होंगे तो समोत्पाद वक्र का आकार होगा  –

A.मूल बिन्दू के प्रति नतोदार

B.मूल बिन्दू के प्रति उन्नतोदर

C.समकोणीय

D.इनमें से कोई नहीं

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  Answer :-   (C) समकोणीय

व्याख्या  –जब दोनों वस्तुएं पूर्णतया पूरक वस्तुएं हों तो उस स्थिति में अनधिमान वक्र समकोण के आकार का होगा ।

पूर्णतया पूरक वस्तुएं वे होंगी जो उपभोक्ता द्वारा एक निश्चित अनुपात में ही प्रयुक्त हो, इसी अनुपात में ही दोनों

प्रयोग में आंएगी

प्रश्न 05-सर्वप्रथम किसने प्रदर्शित किया कि मांग वक्र को अनधिमान वक्रों की सहायता से व्युत्पन्न किया जा सकता है –

A.एजवर्थ

B.पैरेटो

C.हिक्स 4

D.वॉलरा

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  Answer :-   (C) हिक्स

व्याख्या  – मांग वक्र को अनधिमान वक्रों की सहायता से व्युत्पन्न किया जा सकता है इसका सर्वप्रथम प्रतिपादन

हिक्स ने किया । यह मार्शलियन और हिक्स मांग वक्र के ना से जाना जाता है –

प्रश्न 06- एकाधिकारी प्रतियोगिता के अल्पकालीन साम्य की अवस्था में –

A.फर्म को लाभ प्राप्त हो सकते हैं

B.फर्म को हानि सहन करनी पड़ सकती है

C.फर्म को न लाभ न हानि कि स्थिति से गुजरना पड़ सकता है

D. उपरोक्त सभी 4

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  Answer :-   (D) उपरोक्त सभी

व्याख्या  – एकाधिकारी प्रतियोगीता के अंतर्गत कोई फर्म असामान्य लाभ, असामान्य हानि या सामान्य लाभ किसी भी

स्थिति से गुजर सकती है , अतः अलपकालीन साम्य की अवस्था में फर्म को प्रश्नगत तीनों स्थितियों से गुजरना पड़

सकता है ।

प्रश्न 07- निम्नलिखित में से किस अर्थशास्त्री ने लाभ के नवप्रवर्तन के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया  –

A.कार्ल मार्क्स

B.जे. शुम्पीटर

C.एफ.एच. नाइट

D.ए. मार्शल

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  Answer :-   (B) जे. शुम्पीटर

व्याख्या  –लाभ के नवप्रवर्तन के सिद्धांत का प्रतिपादन जे. शुम्पीटर ने वर्ष 1911 में अपनी पुस्तक The Theory of

Economic Development में किया ।

प्रश्न 08- रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त किस मान्यता पर आधारित है –

A.पूर्ण रोजगार

B.पूर्ण प्रतियोगिता

C.कोई सरकारी हस्तक्षेप नहीं

D.उपर्युक्त सभी

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  Answer :-   (D) उपर्युक्त सभी

व्याख्या  – बाजार नियम रोजगार के प्रतिष्ठित सिद्धांत का आधार है जिसने कहा था कि पूर्ति स्वंय अपनी मांग पैदा

कर लेती है । रोजगार का प्रतिष्ठत सिद्धांत यह मानता है कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में बिना स्फीति में पूर्ण रोजगार

पाया जाता है ।

सवाल- भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन सबसे पहले किसने किया था?
जवाब  – दादा भाई नौरोजी ने

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प्रश्न 09- जब राजगोषीय घाटे में से ब्याज भूगतान को घटा दिया जाए, तो अवशेष को कहते है  –

A.मौद्रिक घाटा

B.प्राथमिक घाटा

C.राजस्व घाटा

D.चालू खाता घाटा

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  Answer :-   (B) प्राथमिक घाटा

व्याख्या  -राजकोषीय घाटा इस बात पर प्रकाश डालता है कि बजटरी व्यवहार (बजट आय-व्यय) से उत्पन्न घाटा

कितना है , परन्तु इस बात का प्रकाश नहीं डालता है । कि इस घाटे का कितना भाग बजटरी व्यवहार के कारण है और

कितना भाग पिछले बजट व्यवहार का है ।

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प्रश्न 10- रोजकोषीय नीति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है –

A.राजकोषीय नीति में कर नीति और व्यय-नीति को सम्मिलित किया जाता है

B.राजकोषीय नीति का संबंध सार्वजनिक ऋण तथा ऋण प्रबंधन से है ।

C.राजकोषीय नीति अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति को प्रभावित करती है ।

D.राजकोषीय नीति विनियम दर को स्थिर रखती है

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  Answer :-   (D) राजकोषीय नीति विनियम दर को स्थिर रखती हैं

व्याख्या  –राजकोषीय नीति में सार्वजनिक व्यय – नीति , कर नीति या आय नीति, ऋण निति तथा घाटे की वित्त

नीति को सम्मिलित किया जाता है, जबिक विनियम दर प्रबंधन की नीति मौद्रिक नीति से संबंध रखती है

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